डॉ. कमल टावरी अब स्वामी कमलानन्द गिरि जी महाराज बने, लिया संन्यास

डॉ. कमल टावरी अब स्वामी कमलानन्द गिरि जी महाराज बन गए हैं। उत्तर प्रदेश काडर में वर्ष 1968 बैच के आईएएस अधिकारी रहे हैं डॉ. टावरी जी। बाद में उनने उत्तराखण्ड काडर opt कर लिया था। वे भारत सरकार में सचिव पद से सेवानिवृत्त हुए थे। भारतीय प्रशासनिक सेवा में आने के पहले वह थल सेना में कर्नल थे। गाँधीग्राम वर्धा (महाराष्ट्र) में सन 1945 में जन्में भाई श्री टावरी इलाहाबाद हाईकोर्ट प्रयागराज में एडवोकेट व पंचगव्य विश्वविद्यालय चेन्नई के कुलपति भी हैं। स्वामी कमलानन्द गिरि जी महाराज ने 'सन्तों से समृद्धि' उद्घोष के साथ भगवा-बाना धारण किया है। उन्हें बीते सप्ताह देवभूमि उत्तराखण्ड के श्रीबद्रीनाथ धाम में वरिष्ठ पूज्य सन्तों ने विधिवत संस्कारित कर 'संन्यासी' के रूप में विभूषित किया। देश-विदेश के सन्त जगत, अध्यात्म जगत के अनेक गणमान्य विभूतिवानों ने श्री स्वामी कमलानन्द जी महाराज का स्नेहिल अभिनन्दन किया है। एक अत्यन्त ऊर्जावान व गम्भीर विचारक और सख्त प्रशासक के रूप में श्री कमल टावरी की ख्याति राष्ट्रीय स्तर पर रही है। स्पष्टवादी, मुंहफट, यथार्थ को खुलकर कह देने वाले तथा फक्कड़पन के साथ हरपल सक्रिय डॉ. टावरी को भावी सन्त जीवन में अपार सफलता और निरोग दीर्घायुष्य के लिए हमारी आत्मीय भाग्योदय शुभाकांक्षा। डॉ. कमल टावरी उर्फ स्वामी कमलानन्द जी गिरि भाग्योदय फाउंडेशन के मुख्य सलाहकार हैं। आज उनसे विस्तृत टेलिफोनिक वार्ता का सुअवसर मिला। सारे ठाट-बाट उन्होंने बहुत पहले छोड़ दिए थे। अति साधारण खादी के कुर्ते और लुंऋ
गी में मैं उन्हें लगभग एक दशक से देख रहा हूँ। अब वह भगवा वेश में दिखलाई पड़ा करेंगे। उन्होंने कहा- अब ठाठ-बाट वालों को जमीनी स्तर पर देश के समग्र विकास के कार्य में लगाना है और भारतीय सन्त जगत को भी। -राम महेश मिश्र