मोहनदास गांधी को जेल नहीं शाही महल में भेजा जाता था

 मोहनदास करमचंद को पुणे के आगा खां पैलेस में सरकारी मेहमान के रूप में रखा जाता था। काली पानी की सजा और क्रूरतम यातना भोगने वाले स्वतन्त्रता सेनानी कांग्रेस की नज़र में अंग्रेज सरकार के चाटुकार थे। देश को मूर्ख बनाने के मिशन का कार्य जो वर्षों से चल रहा था, वह अब सोशल मीडिया के द्वारा ध्वस्त हो चुका है। हिन्दु जनता के बीच गांधी का पाखंड बड़  स्तर पर बेनकाब हो रहा है। गोडसे और सावरकर जनता के नायक बनकर उभर रहे हैं। भारत के टुकड़े करने वाली पार्टी कांग्रेस को गांधी का कद बौना साबित होता जा रहा है। 

कांग्रेस का झूठा इतिहास अब नकारा जा रहा है। कारावास के नाम पर सजा इतनी कठोर थी की बापू को स्नान करने के लिए दस बाय दस फिट का संगमरमर लगा बाथरूम में उपलब्ध था।

सजा इतनी कठोर थी की बापू को आठ बाय आठ फीट के नर्म, मुलायम मखमली बिस्तर सोने के लिए था ।


 20 एकड़ में फैले आगा खां पैलेस के हरी हरी मुलायम घास में घूमने के लिए थी । जिससे उनकी प्राकृतिक चिकित्सा में कोई कमी न होने पाए। 

 बारह बाय बारह फिट के स्टडी रूम में आलीशान टेबल कुर्सी में बेहतरीन इंग्लैंड के कागज में लेखन के लिए था ।

और हां, सजा इतनी कठोर थी की बापू की पत्नी भी साथ में रहती थी ।

सजा इतनी कठोर थी की आने जाने के लिए मर्सडीज कार सेवा में थी ।

और उधर वीर सावरकर जी को यह सजा मिली थी,हाथ पांव लोहे की जंजीरों से बंधे थे और दो जन्म की कालापानी की और उसमे भी रोज कोल्हू से तेल निकालना पड़ता था ।।

गांधी देश के बापू बन गए और सावरकर जी अंग्रेजो से माफी मानने वाला ।।

 जिसे विश्वास नही है वे पुणे में स्थित आगा खां पैलेस घूम आए, जो आज भी गांधी संग्रहालय के रूप में सुरक्षित है और हां, बापू जिस रस्सी से बकरी बांधते थे वह रस्सी भी दिख जायेगी।

सबसे अधिक कमाल यह था कि जेलर ऊपर के मंजिल पर निवास करते थे, और गांधी नीचे के शाही कमरे में। ऐसा लगा कि मानो कैदी गांधी नहीं, अंग्रेज जेलर हो ।