राष्ट्रीय स्वयं संघ की नीति और देश में चल रही सशस्त्र क्रांति की विचारधारा असमंजस पहलू पर एक तथ्य सभी को विचारना चाहिए। RSS के तीसरे सरसंघचालक बाला साहब देवरस ने अपनी पुस्तक में भगत सिंह की फाँसी के बाद की एक घटना की चर्चा की है।
संघ के तीसरे सरसंघचालक बाबा साहब देवरस उस समय युवावस्था में थे। हिंदू महासभा के युवा संगठन के रूप में संघ भारतीय युवाओं में हिंदुओं में बहुत अधिक लोकप्रिय होने लगा था। डॉ हेडगेवार हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद को छोड़कर अब पूरी तरह से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माध्यम से युवाओं को अनुशासित करने का कार्य कर रहे थे किंतु मन में हिंदुओं की सैनिकीकरण की योजना अवश्य थी। इस कार्य के लिए संघ के अधीन शाखाओं में सैनिक विभाग भी सक्रिय था।
बालासाहेब देवराज ने भगत सिंह के फांसी के बाद कुछ युवाओं के साथ मिलकर ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध एक सशस्त्र हमला करने की योजना बनाई, तो उसका परिणाम क्या रहा इसके लिए वह अपनी किताब में लिखते हैं । ब्रिटिश सरकार के ख़िलाफ़ कुछ करने की आज्ञा लेने डॉक्टर हेडगेवार के पास गये। तो हेडगेवार ने उन्हें ऐसा करने से रोकने के लिए सात दिन तक बैठक ली। उसके बाद संघ सेवा कार्य के प्रति उनका दृष्टिकोण बदल गया।
[बाला साहब देवरस के भाषणों और पत्रों की यह किताब 'जागृति प्रकाशन' से आई है जिसमें उन्होंने इस घटना का वर्णन किया है।]