जन्म कुण्डली में ग्रह अनुकूल नहीं है तो ग्रह आपके शरीर पर डाल सकता है गहरा प्रभाव   

 


Radhikesh Das Medical Astrology


जन्म कुण्डली में ग्रह अनुकूल नहीं है तो ग्रह आपके शरीर पर डाल सकता है गहरा प्रभाव   


     ज्योतिष शास्त्र में, ग्रह शरीर के किसी न किसी हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं. अगर जन्म कुण्डली में ग्रह अनुकूल नहीं है और गोचर में भी प्रतिकूल स्थिति बनी हुइ है ग्रह की तो उस समय के दौरान, व्यक्ति को कुछ न कुछ स्वास्थ्य जटिलताओं का सामना करना पड़ता है, जिसे ग्रह द्वारा दर्शाया जाता है. 



ग्रहों के अपने-अपने कारक तत्वों के आधार पर उनके विशेष फलों की प्राप्ति होती है. सभी नौ ग्रह किसी न किसी रुप से अपने गुणों को दर्शाते हैं. इन सभी नव ग्रहों की स्थिति शुभ और अशुभ फलों को देने वाली बनती है.



कालपुरुष की कुंडली 


कुंडली में 12 भाव और मनुष्य जीवन में ...


      ज्योतिष में कुंडली के बारह भाव काल पुरूष की कुंडली कहे जाते हैं. ज्योतिष के लिहाज काल पुरूष की कुंडली व्यक्ति के शरीर के सभी अंगों पर अपना असर डालने वाली होती है. काल पुरुष की कुंडली में प्रत्येक अंग का अधिकार किसी न किसी ग्रह से भी प्रभावित होता है. 



सूर्य ग्रह


      सूर्य का असर हड्डियों, आंख, हृदय, सिर और जोड़ों पर अपना प्रभाव रखता  है. सूर्य की दशा के दौरान जातक को उसके द्वारा अधिकार में आए शरीर के अंगों से जुड़ी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है. कुंडली में सूर्य के कमजोर पाप प्रभाव में होने से उन अंगों से संबंधित स्वास्थ्य संबंधी परेशानी देखने को मिल सकती है जो सूर्य के अधिकार क्षेत्र में आते हैं. 



चंद्रमा ग्रह  


     चंद्रमा का असर मन और हृदय पर अधिक देखा जाता है. यह हार्ट, फेफड़े, छाती इत्यादि पर अधिकार रखता है. कमजोर या पाप प्रभावित चंद्रमा जल जनित बिमारी दे सकता है. रक्त से जुड़ी परेशानियों का कारण बन सकता है. 



मंगल ग्रह


     मंगल ग्रह शरीर में ऊर्जा शक्ति, ब्लड, मज्जा, ऊर्जा और महिलाओं में रज का प्रमुख कारक बनता है. मंगल के पाप प्रभावित होने से मंगल से संबंधित अंगों और शरीर के ऊर्जा स्तर पर असर पड़ता है. स्त्रीयों के रोग इत्यादि भी कमजोर मंगल के कारण हो सकते हैं. 



बुध गृह


     बुध ग्रह का प्रभाव त्वचा पर , वाणी पर, तंत्रिका तंत्र पर, नाभी, नसों, इत्यादि पर होता है. कुंडली में पीड़ित बुध अपने प्रभाव में आने वाली चीजों  से संबंधित दिक्कतें दे सकता है. बुध के कमजोर होने पर मांसपेशियों में खिंचाव, वाणी दोष और टाइफाइड, पागलपन, इत्यादि रोग प्रभाव डाल सकते हैं. 



गुरु ग्रह


      गुरु/बृहस्पति ग्रह का प्रभाव शरीर की चर्बी पर होता है, मस्तिष्क, यकृत, गुर्दे, प्लीहा आदि पर इसका प्रभाव होता है. कुंडली में प्रभावित गुरु के कारण शरीर में मधुमेह का मोटापे का प्रभाव पड़ सकता है. ज्ञान के विकास में कमी आती है.  कानों पर असर डाल सकता हैं और अग्नाशय से संबंधित रोग हो सकते हैं.



शुक्र ग्रह


       शुक्र ग्रह का प्रभाव जनांगों पर अधिक प्रभाव डालत है.  इसके साथ ही आकर्षण सौंदर्य, चेहरा, ज्योति इत्यादि पर शुक्र का प्रभाव क्षेत्र होता है. शुक्र के खराब होने पर वीर्य, ​​शरीर, चमक और चमक कम हो सकटि है. आलस्य का प्रभाव अधिक रह सकता है. गले से संबंधित विकार उभर सकते हैं. नेत्र विकार, नपुंसकता, प्रमेह आदि रोग परेशानी देने वाले बन सकते हैं. 



शनि ग्रह


      शनि ग्रह का प्रभाव नसों पर तंत्रिका तंत्र पर पैरों और मांसपेशियों पर होता है. शनि के शुभ न होने कमजोर होने इत्यादि के कारण शरीर के विभिन्न अंगों, दांतों, त्वचा, कान, घुटने से जुड़ी परेशानियां उभर सकती हैं. माइग्रेन, सिर दर्द का कारण भी बन सकता है. शारीरिक कमजोरी, मांसपेशियों में कमजोरी, पक्षाघात होने का भय शनि के कारण होता है.



राहु ग्रह


राहु ग्रह का प्रभाव व्यक्ति को सोच को प्रभावित करता है. इसके साथ ही सांस से जुड़े रोग, पैर, फेफड़े आदि का करक राहु बनता है. राहु के प्रभावित होने के कारण सांस से जुड़ी सस्याएं, कैंसर, अल्सर, पैर आदि से संबंधित रोग परेशान कर सकते हैं. मोतियाबिंद, हकलाना इत्यादि रोग भी राहु के कारण बढ़ सक्ते हैं.   



केतु ग्रह


केतु के प्रभाव क्षेत्र में फेफड़ों, पेट, आंत, कान, शारीरिक कमजोरी और मस्तिष्क का भग आता है. केतु के प्रभावित होने से इन से जुड़ी बीमारियां प्रभाव डाल सकती हैं.  केतु क अप्रभाव जहर पर भी होता है इसलिए शरीर में किसी प्रकार का इन्फैंक्शन का होना भी केतु के प्रभाव से हो सकता है.