द्विराष्ट्र सिद्धांत का सच : सावरकर से पहले मुस्लिम लीग ने ही द्वि राष्ट्र सिद्धांत को मानकर पाकिस्तान की मांग की थी


     सन् 1930 में जब मुहम्मद इकबाल  ने भारत के उत्तर पश्चिमी भाग में दक्षिण एशिया के मुसलमानों के लिए एक अलग मुस्लिम राज्य के निर्माण की बात की, तभी से पाकिस्तान के निर्माण की मांग उठी | इकबाल ने कहा कि उत्तर-पश्चिम भारत का संगठित मुस्लिम राज्य के रुप में निर्माण ही मुझे मुसलमानों की अंतिम नियति प्रतीत होती है ​|


     इसके बाद मुस्लिम लीग ने मुसलमानों को भड़काना शुरू कर दिया | मुस्लिम राज्य के नए नाम पाकिस्तान का नाम कैंब्रिज( इंग्लैंड) विश्वविद्यालय के कट्टर मुस्लिम छात्र चौधरी रहमत अली ने दिया |


     प्रोफेसर बलराज मधोक ने अपनी पुस्तक पाकिस्तान का आदि और अंत के पृष्ठ 26 में लिखा है कि  "शब्द पाकिस्तान का सबसे पहले प्रयोग लन्दन में चौधरी रहमत अली ने किया | वहां 1930 में हुए राउंड टेबल कांफ्रेंस के समय उसने मुस्लिम लीग के नेताओं से मिलकर उन्हें भारत के उत्तर-पश्चिम में पाकिस्तान का एक अलग मुस्लिम राज्य बनाने की योजना बनाई | उसके अनुसार पाकिस्तान नाम में अक्षर - पंजाब, - अफगानिस्तान, - काश्मीर, - सिंध और स्तान- बलूचिस्तान के द्योतक है " |


   


 मुहम्मद इक़बाल चौधरी रहमत अली और कट्टर मुस्लिम युवाओं के साथ 


चौधरी रहमत अली नामक एक मुस्लिम छात्र ने एक पर्चा जारी कर पृथक राज्य पाकिस्तान की परिकल्पना को जन्म दिया था | फिर आगे भी अधिवेशनों व मुस्लिम सम्मेलनों में 1933 और 1935 में लिखे गए दो पर्चो में रहमत अली ने मुस्लिम अस्मिता के लिए अलग राष्ट्रीय दर्जे की मांग की थी जिसे उसने पाकिस्तान नाम दिया था |


और मुस्लिम लीग के नेता इकबाल ने सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा गीत लिखकर बाद में सारे जहाँ से अच्छा पाकिस्तान हमारा लिखा | हिन्दू महासभा पर द्वि राष्ट्र सिद्धांत का आरोप निराधार है | सावरकर अखंड भारत में हिन्दू राष्ट्र के पक्षधर थे, इसलिए बंटवारे का विरोध केवल हिन्दू महासभा ने ही किया | मुस्लिम लीग की लगातार पाकिस्तान की मांग को देखकर वीर सावरकर ने 1937 के अधिवेशन में हिन्दुओं को मजबूत करने के लिए हिन्दू राष्ट्र के नारे को बुलंद किया |



सन 1944 में जिन्ना के साथ मोहनदास गांधी, तबतक मुस्लिम लीग ने अपने अधिवेशनों में पाकिस्तान का नक्शा प्रस्तुत कर दिया था 


    प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी ताराचंद ने भी अपनी पुस्तक - दि हिस्ट्री ऑफ़ फ्रीडम मूवमेंट इन इंडिया के पृष्ठ 154 में मुस्लिम लीग के 1930 में हुए अधिवेशन में मुस्लिम राज्य के निर्माण का उल्लेख किया है, जो बाद में पाकिस्तान के रूप में देश तोड़कर बना | 


 


Image result for मुहम्मद इक़बाल पाकिस्तान झंडामुस्लिम लीग के 1930 अधिवेशन लाहौर का रिकॉर्ड 


  मुस्लिम लीग के 1930 अधिवेशन का रिकॉर्ड - दी एनुअल रजिस्टर २, 1930 के पृष्ठ 338 में छपे मुहम्मद इक़बाल के भाषण का अंश इस प्रकार है -


" I would like to see the Punjab, N. W. F. P. , Sindh and Baluchistan  amalgamated into a single self-government state within the British Empire. The formation of a consolidated North West Indian Muslim state appears to me to be final destiny of the Muslims at least in North-West India..... I therefore demand the formation of a consolidated Muslim State in the best interest of India and Islam."


"मैं पंजाब, N. W. F. P., सिंध और बलूचिस्तान को 
ब्रिटिश साम्राज्य के भीतर एक एकल स्व-मुस्लिम
राज्य में
समाहित करना चाहूंगा। मुझे उत्तर पश्चिम
भारतीय मुस्लिम राज्य का गठन एक परिपूर्ण तरीके से
करना है जो कम से कम
मुसलमानों का
अंतिम नियति ही प्रतीत होता है। उत्तर-पश्चिम भारत .....

इसलिए मैं भारत और इस्लाम के हित में एक
परिपूर्ण मुस्लिम राज्य के गठन की माँग करता हूँ। "

कांग्रेसी नेता का प्रलाप 


संसद में  एक कांग्रेसी नेता ने प्रलाप करते हुए नागरिक संशोधन बिल पर वीर सावरकर को देश विभाजन का जिम्मेदार माना, यह एक भ्रामक तथ्य है कि देश के बंटवारे के लिए हिन्दू महासभा जिम्मेदार है यदि ऐसा होता तो पाकिस्तान के निर्माण के साथ शेष भारत हिन्दू राष्ट्र घोषित होता | वास्विकता यही है कि कांग्रेस ने अंग्रेजों के साथ मिलकर भारत के पूर्व और पश्चिम भू भाग पर मुस्लिम राज्य का गठन करा दिया और शेष भारत को सेकुलर राज्य बनवा कर हिन्दू आन्दोलन को कुचलने का प्रयास किया |


     यदि खंडित भारत में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होती तो निश्चित ही भारतीय कुछ वर्षों में अपनी हिन्दू सैन्य शक्ति को एकत्रित करके पूर्वी और पश्चिमी पाकितान व अफगानिस्तान और बलूचिस्तान को  नक़्शे से मिटाकर भगवा ध्वज तले पुनः अखंड भारत के मानचित्र में जोड़ लेते | दुर्भाग्य रहा कि नेहरू गांधी और पटेल ने बंटवारे को स्वीकार करने के बाद भी भारत को पुनः अखंड बनाने के लिए हिन्दुओं का सैनिकरण नहीं किया | हम सेकुलर राजनीति से मुस्लिम तुष्टिकरण राजनीति के शिकार होते चले गए |