मोक्ष प्राप्ति के लिए बना था-सांप-सीढ़ी का खेल

Image result for moksha patam gameनई दिल्ली : कुछ इतिहास-कार मानते हैं, सांप-सीढ़ी का आविष्कार 13वीं शताब्दी में संत ज्ञानदेव ने किया था. इस खेल को आविष्कार करने के पीछे का मुख्य उद्देश्य बच्चों को नैतिक मूल्य सिखाना था | सांप-सीढ़ी खेल की उत्पत्ति प्राचीन भारत में हुई थी | डेन्मार्क देश के प्रा. जेकॉब ने इंडियन कल्चरल ट्रेडिशन के अंतर्गत पूरे भारत में भ्रमण कर सांपसीढी के अनेक पट संग्रहित किए | खोजते खोजते प्रा. जेकॉब को मराठी के विख्यात साहित्यकार रामचंद्र चिन्तामण ढेरे के हस्तलिखित संग्रह से उन्हें दो मोक्षपट मिले | इस पर लिखित पंक्तियों से जीवननिर्वाह कैसे करें, कौन सी कौडी (मोहरा) गिरी तो क्या करना चाहिए, इसका मार्गदर्शन भी किया गया है |


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मोक्षपट से संदेश !


मोक्षपट खेल के दोनों ही पट २० x २० इंच आकार के हैं एवं उसमें चौकोर खाने बने हुए हैं | अलग-अलग समय पर इन खानों की संख्या 50 से 100 तक हो गयी | परन्तु समान रूप से उसमें प्रथम खाना 'जनम' का और अंतिम खाना 'मोक्ष' का है | मनुष्य के जीवन की यात्रा इस खेल के द्वारा निर्धारित की जाती है  |  मोक्षपट खेलने हेतु सांपसीढी के समान ही ६ कौडियों -काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद एवं द्वेष के नाम से खेला जाता रहा |  पट की हर सीढी को उन्नति की सीढी संबोधित कर उन्हें सत्संग, दया एवं सद्बुद्धि ऐसे नाम से प्रेरणा और अच्छे संस्कार देने का चलन रहा |


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   मनुष्य सांसारिक जीवन को पुरुषार्थ चतुष्टय -धर्म, अर्थ व काम के साथ परम लक्ष्य जिसमें सांसारिक दुःख समाप्त हो जाता है मोक्ष को प्राप्त करने के लिए संकल्पित हो यही इस खेल का उद्देश्य है |


  इस मोक्षपट खेल के मूल संरचना में  एक सौ चोकोर खाने हैं |  जिसमें, 12 वां खाना विश्वास था, 51वां  खाना विश्वसनीयता थी, 57 वां खाना वीरता, 76 वां खाना  ज्ञान था, और 78वें  खाना तपस्या थी  | ये वे खाने थे जहां सीढ़ी मिली और खेलने वाला  तेजी से ऊपर उठता है | 


इसे तरह मानव जीवन को पतन की राह में ले जाने वाले अवगुणों से बचने के लिए अहंकार के लिए 44 वां खाना, चंचलता के लिए 49 वां, चोरी के लिए 2 रा खाना, झूठ बोलने के लिए 58 वां, कर्ज के लिए 69 वां, क्रोध के लिए 84 वां, इसी तरह  लालच, गर्व आदि के लिए अलग-अलग खानों बने होते हैं, जिसमें कदम रखते ही खिलाड़ी पतन कर नीचे गिर जाता है | फिर इसी क्रम में संसार की वासना के लिए 99 वां खाना है, जहां सांप अपने मुंह से खुले हुए इंतजार कर रहा था | यहाँ से खिलाड़ी एकदम नीचे आ गिरता है | मनुष्य को अंतिम लक्ष्य 'मोक्ष' को पाने के लिए अपने अवगुणों पर विजय पानी होगी, अवगुणों को लांघ कर ही मनुष्य पतन से बच सकता है |


100 वां खाना निर्वाण या मोक्ष का प्रतिनिधित्व करता है | 


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    भारत के बाहर भी है प्रचलन में 


  पहले यह कपड़ों पर ही बना हुआ होता था, लेकिन 18वीं शताब्दी के बाद यह बोर्ड पर बनने लगा | 19वीं शताब्दी के दौरान, भारत में उपनिवेशकाल के समय यह खेल इंग्लैंड में जा पहुंचा था. अंग्रेज अपने साथ यह खेल अपने देश में भी लेकर गए | नये नाम 'स्नेक एंड लैडरर्स' से मशहूर हुआ | अंग्रेजों ने अब इसके पीछे के नैतिक और धार्मिक रूप से जुड़े हुए विचार को हटा दिया था |


Image result for snake and ladder in englandइंग्लैंड के बाद यह खेल अब संयुक्त राज्य अमेरिका में भी जा पहुंचा. साल 1943 में यह अमेरिका में प्रचलन में आया | वहां इस खेल का नाम अब हो गया था 'शूट एंड लैडरर्स' |


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