जुलाई 5, 2020 को रविवार के दिन-आषाढ़ मास की पूर्णिमा गुरु पूर्णिमा 

Guru Purnima Chandra Grahan 2020 Date गुरु पूर्णिमा ...



आषाढ़ पूर्णिमा


     आने वाली 5 जुलाई के दिन आषाढ़ पूर्णिम का पर्व मनाया जाएगा. आषाढ़ मास को आने वाली पूर्णिमा तिथि को आषाढ़ पूर्णीमा और गुरु पूर्णिमाके नाम से भी जाना जाता है. पूर्णाम तिथि के शुभ अवसर पर दो महत्वपूर्ण कार्य संपन्न किए जाते हैं. इस दिन भगवान श्री विष्णु का पूजन किया जाता है और दूसरा कार्य गुरु के प्रति सम्मान व्यक्त किया जाता है. इस वर्ष आषाढ़ पूर्णिमा जुलाई 5, 2020 को रविवार के दिन मनाई जाएगी. पूर्णिमा तिथि आरंभ - 04 जुलाई, 2020 को 11:33 मिनिट पर होगा. पूर्णिमा तिथि की समाप्ति  - 05 जुलाई, 2020 को 10:13 पर होगी



आषाढ़ पूर्णिमा पर होगी सत्यनारायण कथा


  जानें, पूर्णिमा पर क्यों सुनी जाती ...


      पूर्णिमा तिथि के उपलक्ष्य पर भगवान सत्यनारायण का पूजन होता है और कथा को पढ़ा व सुना जाता है. इस कथा के पूजन द्वारा ही पूर्णिमा का व्रत संपूर्ण माना जाता है. 4 जुलाई को होगी सत्यनारायण कथा और चंद्रमा का पूजन किया जाएगा. आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन श्री हरि का पूजन होता है. इस दिन प्रातः काल स्नान इत्यादि नित्य कार्यों से निवृ्त होकर पूर्णिमा के व्रत का संकल्प किया जाता है. श्री विष्णु के अनेक नामों का स्मरण किया जाता है और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ किया जाता है. व्रती को चाहिए कि पूरे दिन श्री विष्णु का ध्यान करते हुए अपने अन्य कार्य संपन्न करे. 



    भगवान के पूजन में तुलसी, धूप, दीप, गंध,पुष्प व फल इत्यादि का उपयोग किया जाता है. सामर्थ्य अनुसार भक्ति भाव के साथ पूजा करनी चाहिए.  पूजा के पश्चात भगवान को विभिन्न प्रकार के पकवानों का भोग लगाना चाहिए. भोग को प्रसाद स्वरूप सभी लोगों के मध्य वितरित करना चाहिए.  


Guru Purnima 2020: Know these rules before worshiping and ...
आषाढ़ मास की पूर्णिमा गुरु पूर्णिमा 


     आषाढी़ पूर्णीमा के दिन गुरु का पूजन भी किया जाता है. आप जिसे भी अपना गुरु मानते हैं उसके प्रति आज के दिन सम्मान का भाव अवश्य प्रकट करना चाहिए. जिस प्रकार आषाढ़ मास के समय आकाश बादलों से घिर जाता है तो उस अंधकार को दूर करने के लिए सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार जीवन के अंधकार को दूर करने के लिए किसी गुरु का होना अत्यंत आवश्यक होता है. गुरु काज्ञान ही जीवन के हर मार्ग को आलोकित करने में सक्षम होता है. 



     भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान श्रेष्ठ रहा है. ईश्वर से भी आगे उस गुरु को ही स्थान प्राप्त होता है. प्राचीन काल से गुरु शिष्य परंपरा की धरोहर आज भी मौजूद है.  इसी कारण से यह समय प्रभावी है. गुरू के ज्ञान एवं उनके स्नेह के प्रति आभार प्रकट करने के लिए इस दिन के शुभ अवसर पर गुरु पूजा का विधान है. 



     जीवन में गुरु का स्वरुप किसी भी रुप में प्राप्त हो सकता है. यह शिक्षा देते शिक्षक हो सकता है, माता-पिता हो सकते हैं, या कोई भी जो हमें ज्ञान के पथ का प्रकाश देते हुए हमारे जीवन के अधंकार को दूर कर सकता है. 


गुरु के पास पहुंचकर ही शांति, भक्ति और शक्ति प्राप्त होती है.