गंगा को गंदा नाला बनाने का घिनौना खेल-नमामि गंगा क्या केवल नारा मात्र रह गया है?

    Ganga pollution unabated in Haridwar- Study by PSI


  गंगा को पिछले कई वर्षों से नाला बनाने का षड्यंत्र चल रहा है, उसके विरोध में अब महंत श्री दुर्गा दासजी महाराज ,कुम्भ मेला प्रबंधक, श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन निर्वाण राजघाट, कनखल ने मोर्चा खोल लिया है. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी जी ने भी गंगा को निर्मल और अविरल करने के लिए वर्तमान उत्तराखंड सरकार से उस आदेश को निरस्त करने की मांग कि जिसके तहत हरिद्वार विकास प्राधिकरण ने गंगा को नाले में बदल दिया. 


    उत्तराखंड सरकार ने 14 दिसम्बर 2016 को आर. मीनाक्षी, सचिव, उत्तराखंड सरकार द्वारा हरिद्वार विकास प्राधिकरण को जारी एक आदेश में लिखा कि सर्वानंद घाट से हर की पैड़ी- ब्रह्म कुण्ड व कनखल में बहने वाली गंगा एक नाला है, इसमें सीवरेज जोड़ा जा सकता है. इसी आदेश में गंगा को सरंक्षित करने के ग्रीन ट्रिब्यूनल किसी गाइड लाइन का कानून की पाबंदी न होने का उल्लेख हुआ, और दुर्भाग्य से हरीश रावत की से लेकर अब उत्तराखंड की भाजपा सरकार भी  इसी आदेश को स्थायी रखते हुए है. 




 मुख्य प्रशासक, आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण, देहरादून को ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों का सन्दर्भ देते हुए माँ गंगा को एक नाले के रूप में उल्लेखित करते हुए उसमें हरिद्वार शहर के Sewage से मल-मूत्र डालने की अनुमति प्रदान की गयी. 
     माँ गंगा नदी के दिव्य स्वरुप जो मुख्य धारा के साथ ही सर्वानंद घाट से सुखी नदी होते हुए हर की पैड़ी ब्रह्म कुण्ड होकर कनखल सती मंदिर तक प्रवाहित होता है. देश विदेश से सनातन धर्म के श्रद्धालु माँ गंगा की इसी अविरल धारा में धार्मिक अनुष्ठान, तर्पण आदि पवित्र कर्मों को युगों से करते आए हैं. जबकि पिछली उत्तराखंड सरकार का ऐसा आदेश हिन्दू समाज पर एक कलंक साबित हो रहा है. इस बात पर भी आश्चर्य हो रहा है कि वर्तमान में भाजपा सरकार भी इस आदेश को निरस्त करने में किस कारण से विलम्ब कर रही है. 
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      ऐसे में गंगा की निर्मलता को दूषित होने से बचाने के लिए आपका महान प्रयास शीघ्र ही सफल होगा. ऐसी हम आशा करते हैं कि वर्तमान सरकार माँ गंगा को स्कैप चैनल यानि नाला घोषित  करने के आदेश व उसमें किसी प्रकार की गंदगी को डालने वाली सीवर लाइन को बंद कर माँ गंगा की धारा को निर्मल करेगी. 
    धरती पर अवतरित होने के बाद माँ गंगा हरिद्वार में प्रवाह से बहने लगी, जिसमें सर्वानन्द घाट, खड्खडी शमशान घाट, हरी की पैड़ी-ब्रह्मकुण्ड भगवान्  श्रीहरि के श्री चरणों पर बहुत ही दिव्य स्वरुप में विद्यमान है. पवित्र नगरी हरिद्वार के मुख्य घाट के रूप में भी हर की पैड़ी का महत्व है, क्योंकि समुद्र मंथन से निकले अमृत की बूँदें हरिद्वार में यही श्री नारायण के चरणों में गिरी थी.  
      इसके उपरान्त माँ गंगा कुशावर्त घात जिसे कुशा घाट के नाम से जाना जाता है, यहाँ साल भर श्राद्ध कर्म होता है, साथ ही देव कार्य भी संपन्न होते हैं. भगवान ने दत्तात्रेय ने इसी स्थान पर तपस्या की थी जिस पर गंगा मैया ने कुशा को नहीं उखड़ने दिया, इसी कारण से इसे कुशावर्त घाट कहा जाता है. इसके उपरान्त  डामकोठी से सती घाट में माँ गंगा प्रवाहित हो रही है, यहाँ भी अस्थि विसर्जन के लिए वर्ष भर श्रद्धालु आते हैं. यहाँ से राजघाट से होते हुए कनखल के श्मशान घाट फिर दक्ष प्रजापति घाट होते हुए माँ गंगा अपने सनातन स्वरुप में बह रही हैं. 
     श्री मा योग शक्ति दिव्य धाम ट्रस्ट, कनखल के ट्रस्टी श्री इंद्र मोहन मिश्र ने बताया कि सरकार द्वारा इस पावन तीर्थ के अनेक घाटों में गंगा को नाले में परिवर्तित कर दिया है, जिनमें  सुभाष घाट, गऊ घाट, कुशा घाट, हनुमान घाट, श्रवण घाट, राम घाट, विष्णु घाट, बिरला घाट, राज घाट, विश्वकर्मा घाट, कबीर घाट, हरिगिरी संन्यास आश्रम घाट से पाइलट बाबा घाट आदि अनेक घाटों में गंगा के निर्मल जल के स्थान पर सीवरेज का गन्दा मल बह रहा है, जो कि हरिद्वार तीर्थ के लिए बहुत ही चिंता का विषय है.  
     वर्तमान में कोराना महामारी के चलते सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए अमरनाथ यात्रा, कावंड यात्रा और चार धाम यात्रा प्रतिबन्धित हो चुकी है, किन्तु यदि शीघ्र ही समाधान नहीं निकाला तो अगले वर्ष हरिद्वार कुम्भ के उचित प्रबंध व्यवस्था पर भी ग्रहण लग जाएगा. क्या हमारे आस्थावान सनातनधर्मी उत्तराखंड सरकार द्वारा घोषित 'नाले' में स्नान करने कुम्भ आएँगे.  इसलिए सभी संतों व विद्वानों को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिससे हिन्दुओं की आस्था को मिटाने का षड्यंत्र सफल ना हो सके. गंगा को नाला मानने वाले सरकारी आदेश को अविलम्ब वापस लिया जाए. 
     गंगा हमारी सनातन संस्कृति की प्राण प्रवाहिका है. गंगा को नाला कहना और उसे प्रदूषित करने वाले अधिकारीयों व जिम्मेदार व्यक्तियों को दण्डित किया जाना चाहिए. आने वाले 21 के हरिद्वार कुम्भ की तैयारियां शुरू होने से पूर्व हर की पैड़ी से सती घाट तक गंगा को स्कैप चैनल का कलंक मिटाने के लिए साधू संतों व धर्माचार्यों का मिलकर प्रयास करना होगा, तभी नमामि गंगा अभियान सफल होगा.